मध्य प्रदेश     भोपाल     टीकमगढ़


 

इकाइयों के ऐसे भौगोलिक जमाव (नगर/शहर/कुछ सटे गांव और उनसे लगते हुए क्षेत्र) को क्लस्टर (जमघट) कहते हैं, जो लगभग एक ही तरह के उत्पाद तैयार करते हैं तथा जिन्हें समान अवसरों और खतरों का सामना करना पड़ता है| हस्तशिल्प/हथकरघा उत्पादों को तैयार करने वाली पारिवारिक इकाइयों के भौगोलिक जमाव (जो अधिकांशतः गांवों/कस्बों में पाया जाता है) को आर्टिशन क्लस्टर कहते हैं| किसी क्लस्टर विशेष में, ऐसे उत्पादक प्रायः किसी खास समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जो पीढियों से इन उत्पादों को तैयार करने के कार्य में लगे होते हैं| दरअसल, कई आर्टिशन क्लस्टर (शिल्पी जमघट) सदियों पुराने हैं|

 

टीकमगढ़ समूह के बारे में:-

 

टीकमगढ़ समूह मध्‍यप्रदेश राज्‍य में भोपाल जिला के अर्न्‍तगत आता है.

 

टीकमगढ़ समूह 246 से अधिक कलाकारों तथा 16 एसएचजी आकार सहित सशक्‍त कार्यबल आधार प्रदान करने में सक्षम है. यह संघटन दिन प्रति दिन पहचान प्राप्‍त कर रहा है.

 

धातु शिल्‍प:-

 

धातु तार जड़ाई कार्य, तारकशी आरंभिक रूप से उत्तरप्रदेश के मैनपुरी में प्रारंभ हुई. यह नवाबों के आश्रय में फलीभूत हुई. आरंभ में इसे खड़ाऊं (लकड़ी की चप्‍पलें) के लिए प्रयोग किया जाता था.

 

जड़ाई किसी सतह में अन्‍य सामग्री के स्‍‍थापन द्वारा अलंकरण का रूप है. काष्‍ठ जड़ाई में मुख्‍यत: पीतल या तॉंबे की तारें प्रयोग की जाती हैं. जीव-वनस्‍पतियों को चित्रित करते हुए तथा जालियों के विभिन्‍न रूपों सहित डिजाइन पारंपरिक होते हैं. हाथी दॉंत पर प्रतिबंध के साथ ही जड़ाई सामग्री के रूप में सुन्‍मय चद्दर का प्रयोग आरंभ हुआ. मैनपुरी परंपरा में जड़ाई से पूर्व तॉंबे, पीतल तथा चॉंदी की तारों को परस्‍पर गूंथकर हथौड़ों से कूटाई कर समतल किया जाता था.

 

कच्ची सामग्री:-

 

मूल सामग्री: आबनूस लकड़ी, शीशम लकड़ी.

सज्‍जा सामग्री: पीतल तार, तॉंबे की तार, हाथी दॉंत, प्‍लास्टिक.

 

हाथ आरी, चमकी, छैनी, लकड़ी का मोगरा, रेती.

 

प्रक्रिया:-

 

जड़ाई किसी सतह में अन्‍य सामगी के स्‍‍थापन द्वारा अलंकरण का रूप है. काष्‍ठ जड़ाई में मुख्‍यत: पीतल या तॉंबे की तारें प्रयोग की जाती हैं. लकड़ी को बड़े टुकड़े में से वांछित आकार में काटने के पश्‍चात् मूल रूप से कागज पर अनुरेखित किए गए नमूने को लकड़ी पर उतार लिया जाता है. तॉंबे या पीतल धातु की चद्दरों को पतला होने तक पिटाई की जाती है और तारों के रूप में काट लिया जाता है. लकड़ी की सतह पर नकल की गई रूपरेखा की हथौड़े एवं छैनी, जिसे हल्‍के ढंग से पकड़ा जाता है और मुगरे से थपकी दी जाती है, की सहायता से खुदाई की जाती है. रूपरेखा के उत्‍कीर्ण भाग पर पीतल एवं तॉंबे की तारें ठोक दी जाती हैं. यदि हाथी दॉंत की जड़ाई की जानी है, तो हाथी दॉंत को वांछित आकार एवं आकृति में काटकर डिजाईन में अपेक्षित स्‍थानों पर गोंद की सहायता से चिपकाया जाता है. तॉंबे की तार या हाथी दॉंत से जड़ाई के पश्‍चात् रेती की सहायता से कोमल किया जाता है तथा अच्‍छी चमक के लिए पॉलिश की जाती है.     

 

तकनीकियाँ:-

1. जड़ाई

2. काटना

3. कोमल करना.

4. चमक प्रदत्त.

 

कैसे पहुचे :-

 

वायुमार्ग द्वारा:-

 

इसका अपना अंतर्राष्‍ट्रीय विमानपत्तन है. भोपाल विमानपत्तन, जिसे 'राजा भोज विमानपत्तन' के नाम से भी जाना जाता है, शहर के मुख्‍य केन्‍द्र से 15 कि.मी. दक्षि‍ण पूर्व में स्थित है.

 

सडक के द्रारा:-


बस अड्डा पुराने भोपाल में रेलवे जंक्‍शन के नजदीक है. मध्‍यप्रदेश में तथा आसपास जाने के लिए सघन बस सेवाएं (राज्‍य/निजि) उपलब्‍ध हैं. सॉंची(46 कि.मी.), विदीशा(56कि.मी.), इंदौर (186कि.मी.), उज्‍जैन(188कि.मी.), पंचमढ़ी(195कि.मी.) तथा जबलपुर(295कि.मी.) जैसे स्‍थानों के लिए दैनिक बसें उपलब्‍ध हैं.

 

रेलमार्ग द्वारा:-


हमीदिया रोड के निकट भोपाल रेलवे स्‍टेशन इसे देश विभिन्‍न भागों से जोड़ता है. भोपाल दिल्‍ली-मुम्‍बई प्रमुख दो रेलवे लाइनों में से एक पर है तथा पश्चिम मध्‍य रेलवे का मुख्‍य जंक्‍शन है.

 

 

 

 








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