एक क्लस्टर एक भौगोलिक एकाग्रता(शहर/क़स्बा/कुछ आसन्न गांवों और उनके आसपास के क्षेत्रों शहर के रूप में परिभाषित किया गया है) के पास इसी तरह के उत्पादों का उत्पादन इकाइयों की और आम के अवसरों और खतरों का सामना करना पड़. एक कारीगर क्लस्टर भौगोलिक दृष्टि से बस्ती / गांवों में ज्यादातर (केंद्रित के रूप में परिभाषित है) घर / हथकरघा उत्पादों हस्तकला के उत्पादन इकाइयों. एक विशिष्ट समूह में, इस तरह के निर्माता अक्सर एक पारंपरिक समुदाय के हैं, पीढ़ियों के लिए लंबे समय की स्थापना के उत्पादों का निर्माण किया. वास्तव में, कई कारीगर समूहों सदियों पुराने कारीगर हैं.
करनाल समूह के बारे में:-
करनाल समूह हरियाणा राज्य में करनाल जिला के अर्न्तगत आता है.
करनाल समूह 200 से अधिक कलाकारों तथा 10 एसएचजी आकार सहित सशक्त कार्यबल आधार प्रदान करने में सक्षम है. यह संघटन दिन प्रति दिन पहचान प्राप्त कर रहा है.
घास, पत्ता, सरकंडे, तथा रेशा:-
उपजाऊ भूमि शुष्क बेंत से निर्मित आकर्षक वस्तुएं उत्पादित करती है. स्थानीय रूप से इन्हें सरकण्डा कहा जाता है. बेंत के इन छिलकों को पूर्णत: सुखाया जाता है और तब छिजाइन निर्मित करने के लिए मोड़ा जाता है. अति सुविधाजनक एवं टिकाउ वस्तुएं जैसे चौकी, मेज, चटाईयां आदि तैयार किए जाते हैं.
हरियाणा की महिलाएं बलिष्ठ एवं अपने कार्य के प्रति समर्पित हैं. उनकी पारंपरिक वेशभूषा लंबे घाघरे में वे सरकंडों से हाथ पंखे बनाती दिखाई देती हैं. वे इन्हें प्रचलित आभा प्रदान करने के लिए प्राकृतिक एवं रसायनिक रंगों से रंग करती हैं. इन पंखों को भारी आभास प्रदान करने के लिए वे बहुरंगी ऊन का भी प्रयोग करती हैं.
पत्तों की चादर या जालियां निर्मित की जाती हैं जो ग्रीष्म ऋतु में धूप से सुरक्षा के लिए पर्दे के रूप में प्रयोग की जाती है. आजकल इनकी आकर्षक रंगों एवं डिजाइनों में व्यवसायकि रूप से बिक्री की जाती है.
खजूर के नाजुक पत्ते जिसकी पसली निकाली हुइ होती है और बादमें सूरज की धूप में सूखाया है उससे बनी चीजो मे सामिल है बेग,डिनर केस,और सुशोभित हाथोमे रखा जाये एसा मॊडा जानेवाला पंखा जिसकी 37 से 56 के बीच की ब्लेड होती है।ब्लेड कॊ एकदूसरे के साथ तांबे के तार से उस के उपर रखे छिद्र मे से जोड दिया जाता है और पंखे की तरह फैलाने के लिए एक साथ सीलाइ की जाती है।ब्लेड पे फूलो की डिजाइन की चित्रकारी करने के द्रारा आकर्षक बनाया जाता है।दक्सिनी केराला में खजूर के पते और तने की बुनाइ का बढता हुआ व्यापार है इन दिनो मे बेग,हेट और सुट्केसीस भारतीय और आंतरराष्ट्रीय दोनो बजारो क्र लिये बनाइ जाती है ।नरकट मजबुत-तने का घास है , खोखले तने वाला जो बांस के भांति दीखता है।यह मजबुत सामग्री है और नरकट चटाइयो का इस्तेमाल दिवाल और छ्त को बनान के लिये होता है।नरकट को पहले चिर दिया जाता है उसे चटाइ में सीधी बुनाइ मे बुना जाए उससे पहले।वो एक कोने से शुरू की जाती है और सिलवट या बुनाइ विकर्ण रेखा मे की जाती है।बीच मे लंबी पट्टीयो को मोड दिया जाता है और अन्य पट्टी को तिरछा दाखिल किया जाता है जो बाद मे मोडी जाती है और आगे की पट्टी को फिर से तिरछा दाखिल किया जाता है और एसा होता रहता है।तिरछी पट्टीओ की चुनन चटाइ की किनारीया बनाती है।नरकट का बहुत हि मजबुत बास्केट बनाने के लिए भी इस्तेमाल होता है।
कच्ची सामग्री:-
तामिलनाडु के गांव खजूर ,नारीयेल,ताड,पल्मयरा के पेड से भरे हुए है।बास्केट और संबंधित उत्पादने बनाने के लिए खजूर कच्ची सामग्री का अहम संशाधन है।अन्य कच्ची सामग्री जैसे की बांस,बेंत, घास,रेसे और नरकट का भी बास्केट,छत,रस्सा,चट्टाइ और काफी अन्य चीजे बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
प्रक्रिया:-
पटसन रेसा पटसन पौधे के तना और छाल (बाहरी चमडी) से मिलता है।रेसो को पहले सडन फेला के अलग किया जाता है।सडन कि प्रक्रिया में सामिल है पटसन के तनो की एक भारी बनाना और उनको कम,बह्ते पानी मे डूबोना।दो तरह की सडन की जाती है:तना और छाल ।सडन की प्रक्रिया के बाद पट्टी बनाना शुरू होता है।औरते और बच्चे सामान्य रुप से यह काम करते है।पट्टीया बनाने की प्रक्रिया में रेशेदार तत्व को खुरचा जाता है,बाद में कामदार जुट जाते है और पटसन तने से रेसो को निकालते है।पटसन बेगो का फेशन बेग और प्रमोशनल बेग बनाने के लिए इस्तेमाल होता है।पटसन का इको-फ्रेन्डली लक्सण इसको सामूहिक भेट देने की खातिर श्रेष्ठ बनाता है।
पटसन की फर्श आवरण के लिए बुनी हुइ और गुच्छेदार और ढेर कि हुइ कार्पेट का इस्तेमाल किया जाता है।पटसन चटाइया और 5/6 चौडाइ की और अवरित लंबाइ की चटाइया भारत के दक्सिणी भाग में बडी आसानी से बुनी जाती है,मजबुत और फेन्सी रंगो मे और अलग अलग बुनाइयोमे जैसे की बौकले,पानामा,हेरींगबोन इत्यादि।पटसन चटाइ और गलीचा पावर लूम और हाथ के लूम दोनो से,बडी मात्रा मे केराला,भारत मे से बनाया जाता है।पारंपारीक शेतरंजी चटाइ घर के सजावट के लिए बहुत हि लोकप्रिय हो रहि है।पटसन बिना बुनाइ के और घटको का अन्डरले , लीनोलीयम,सबस्ट्रेट और सभी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।इस तरह पटसन सबसे ज्यादा वातावरणीय दोस्ती वाला रेसा है जो शुरु होता है बीज से और खत्म होता है रेसे मे,क्योंकि खतम हुए रेसो को एक से ज्यादा बार रीसाइक्ल किया जा सकता है।
तकनीकियाँ:-
व्यवाहारीक कोर्ष है आधुनिक तकनिक का परिचय कराना और कौशल्य को बढाना और कामदार को उसकी उत्पादकता और उसकी आमदनी बढाने के योग्य इस तरह बनाना की वो अपने जीवन की बुनियादी जरुरतो को पूरा कर शके और बहुत हि कम समय में गरीबाइ के चुंगल मे से बाहर आ शके।
कैसे पहुचे :-
करनाल हरियाणा राज्य में है तथा राष्ट्रीय राजमार्ग 1 पर दिल्ली से 123 कि.मी; की दूरी पर स्थित है. आप दिल्ली से रेल अथवा सड़क परिवहन द्वारा करनाल पहुँच सकते हैं. अम्बाला, चंडीगढ़, जम्मु, अमृतसर को जाने वाली बसें एवं ट्रेनें करनाल से गुजरती है.